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________________ ४२ : डॉ० महेन्द्रकुमार जैन न्यायाचार्य स्मृति-ग्रन्थ ३४ - प्रतिष्ठानपुरके महाराज सातवाहनका चरित्र- - इस कल्पमें कितनी ही असंगत बातें हैं जो जैनसिद्धान्तसे मेल नहीं खातीं । ३५ - चम्पापुरी कल्प | ३६ - पाटलीपुत्र कल्प | ३७ - श्रावस्ती कल्प | ३८ - वाराणसी नगरी कल्प । ३९ - महावीर गणधर कल्प । ४० - कोकावसति पार्श्वनाथ कल्प । ४१ - कोटिशिला तीर्थं कल्प | ४२-वस्तुपाल तेजपाल मन्त्रि कल्प । ४३ - ढिपुरी तीर्थं कल्प- इसमें वंकचलकी कथा दी हुई है । ४४ - ढिपुरो स्तव । ४५ - चौरासी महातीर्थं नाम संग्रह कल्प । ४६ - समवसरण रचना कल्प । ४७- कुंडुगेश्वर नाभेयदेव कल्प | ४८ - व्याघ्री कल्प | ४९ - अष्टापद गरि कल्प । ५०. ० - हस्तिनापुर तीर्थं स्तवन । ५१ - कन्यानय महावीर कल्प परिशेष । ५२-कुल्य पाकस्थ ऋषभदेव स्तुति । ५३- अमरकुण्ड पद्मावती देवी कल्प । ५४ - चतुर्विंशति जिन कल्याणक कल्प । ५५ - तीर्थंकरातिशय विचार । ५६ - पञ्च कल्याणक स्तवन । ५७ - कोल्लपाक माणिक्यदेव तीर्थं कल्प | ५८ - श्रीपुर अन्तरीक्ष पार्श्वनाथ कल्प । ५९ - स्तम्भक कल्प - अवशिष्ट भाग । ६० - फलवद्धि पार्श्वनाथ कल्प | ६१- अम्बिका देवी कल्प । ६२ - पंचपरमेष्ठी नमस्कार कल्प । इस प्रकार विविधतीर्थंकल्पमें ६२ कल्पोंकी कथाएँ दी हुई हैं । डाँ० महेन्द्रकुमारजीने कल्पका भाषानुवाद खड़ी बोली में किया है । भाषा साफ सुथरी है । पूरा कल्प एक ही कथा संग्रह बन गया है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012005
Book TitleMahendrakumar Jain Shastri Nyayacharya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Kothiya, Hiralal Shastri
PublisherMahendrakumar Jain Nyayacharya Smruti Granth Prakashan Samiti Damoh MP
Publication Year1996
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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