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________________ ३ / कृतियोंकी समीक्षाएँ : ४१ १७-सत्पुर तोर्थ कल्प-सत्यपुर तीर्थकी विस्तृत कथा दी हुई है । कथा रोचक है। १८-अष्टापद महातीर्थ कल्प __यह कल्प श्री धर्मधोषसूरि कृत है । अष्टापदका दूसरा नाम गिरिराज कैलाश है । आठ पर्वतोंसे वेष्टित होनेके कारण इसे अष्टापद कहते हैं । इस कल्पमें २४ पद्य हैं। १९-मिथिला तीर्थ कल्प मिथिलापुरी विदेह देशमें अवस्थित है। इस मिथिला नगरीमें मल्लिनाथ एवं नमिनाथ भगवानके चार कल्याणक हुए थे । यहाँ बाणगंगा एवं गंडकी नदी बहती है । भगवान् महावीरने यहाँ एक चातुर्मास किया था। जनकसुता सीताका भी मिथिला नगरी जन्म-स्थान है। मिथिला नगरी अनेक राजा-महाराजाओंकी जन्मभूमि रही है। २०-श्री रत्नवाहपुर कल्प-रत्नवाहपुर कौशल देशमें स्थित है । यह भगवान् धर्मनाथको जन्मभूमि है । इस __ कल्पमें कुम्हारके लड़के और नागराजकी खेलनेकी कला है। २१-अपापा बृहत्कल्प दीपमालिकोत्सव सहित अपापाका कल्प है । इसमें अनेक अवान्तर कथाएँ हैं । इस कल्पका निर्माण संवत् १३८७ भाद्रपद कृष्ण द्वादशीके दिन किया गया था। यह बहुत बड़ा कल्प है। २२-कन्यानयनोय महावीर प्रतिमा कल्प इस कल्पमें कन्यानय नगरमें तेईस पर्व प्रमाण ऊँची महावीरकी प्रतिमा है इसे विक्रमपुर निवासी जिनपतिसूरीके चाचा साह मानदेवने संवत् १२३३ आषाढ़ शक्ला १० को आचार्य जिनपतिसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित की थी। २३-प्रतिष्ठानपुर कल्प-भगवान् महावीरके ९९३ वर्ष पश्चात् आर्य कालकाचार्यने इस नगरीमें पधार __ कर भाद्रपद शुक्ला चतुर्थीके दिन वार्षिक प्रतिक्रमण करके पर्वकी प्रवृत्ति की थी। २४-नन्दीश्वर द्वीप कल्प-नन्दीश्वर द्वोपका विस्तारसे वर्णन है। २५-काम्पिल्यपुर तीर्थ कल्प २६-अणहिलपुर ( पाटन ) कल्प-इसका दूसरा नाम अरिष्टनेमि कल्प भी है । २७-शंखपुर पार्श्व कल्प २८-नासिक्यपुर कल्प-पहिले यह नगर पद्मपुर नामसे विख्यात था फिर त्रेता युगमें सूर्पणखाकी लक्ष्मण द्वारा नाक काट लेनेके कारण वह नगर नासिक्यपुर नामसे प्रसिद्ध हआ। आगे भी नगरमें कितनी ही घटनाएं होती रहीं। २९-हरिकंखो नगर स्थित पार्श्वनाथ कल्प। ३०-कपदियक्ष कल्प। ३१-शुद्धदन्ती स्थित पार्श्वनाथ कल्प । ३२-अवन्तिदेशस्थ श्री अभिनन्दन कल्प। ३३-प्रतिष्ठापुर कल्प। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012005
Book TitleMahendrakumar Jain Shastri Nyayacharya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Kothiya, Hiralal Shastri
PublisherMahendrakumar Jain Nyayacharya Smruti Granth Prakashan Samiti Damoh MP
Publication Year1996
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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