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डा. सागरमल जैन . एम. ए., पी-एच. डी. । जैन दर्शन के प्रखर विद्वान, प्रबुद्ध लेखक । जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा दर्शनशास्त्र में जैन आचार दर्शन" विषय पर प्रस्तुत शोध प्रबन्ध पर डाक्टरेट की उपाधि से सम्मानित । अध्ययन के मुख्य विषय - जैन एवं वौद्ध दर्शन । प्राध्यापक एवं अध्यक्षदर्शनशास्त्र विभाग, हमीदिया कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, भोपाल। अनेकान्त की जीवन दृष्टि एवं विविध लेख प्रकाशित । अनेकों शोधपत्र प्रकाशित । सम्पर्क-प्राध्यापक एवं अध्यक्ष-दर्शनशास्त्र विभाग, हमीदिया कालेज, भोपाल ।
श्यामलाल पाण्डवीय वतन्त्रता सेनानी, लोकनेता, यशस्वी लेखक एवं पत्रकार, प्रख्यात समाजसेवी । जन्म-14 दिसम्बर 1896 मुरार (ग्वालियर)। 1917 में ग्वालियर राज्य में सर्वप्रथम, 'गल्प पत्रिका" नाम से मासिक पत्र का प्रकाशन किया। 23 वर्ष की अल्पायु में ही असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण (1920 में ब्रिटिश भारत में) दण्डित । 1921 में पाक्षिक "समय" का प्रकाशन, जो बाद में साप्ताहिक हो गया। 1938 में अंग्रेजी साप्ताहिक State Herald का प्रकाशन किया। 1 दिसम्बर 1939 को उग्र भावनाओं के कारण बिना वारण्ट गिरफ्तारी, जेल यात्रा । सार्वजनिक सभा (ग्वालियर स्टेट कांग्रेस) के अध्यक्ष निर्वाचित (1940)। 1941 में जेल मुक्त। सदस्य, राज्य धारासमा (1944), सम्पादक -- गल्पपत्रिका, सा. समय, State Herald (w), नारद (पा.), मुनि, प्रणवीर, सा. प्रजापूकार, दै. हमारी आवाज । मध्यभारत निर्माण पर प्रथम मंत्रीमण्डल में संसदीय सचिव (1948)। द्वितीय मंत्रिमण्डल में मंत्री (1949) मनोनीत; तब से मध्यभारत विलयन (1956) तक विभिन्न महत्वपूर्ण विभागों में मंत्री व मंत्रीमण्डल के वरिष्ठ सदस्य रहे । अध्यक्ष, अ. भा. दिगम्बर जैन परिषद (1972)। अनेकों राष्ट्रीय, प्रान्तीय एवं स्थानीय संस्थाओं में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहे। विभिन्न विषयों पर सैकड़ों लेख व लगभग दस पूस्तके प्रकाशित । सम्पर्क-प्रेम शान्ती भवन, फालके बाजार, ग्वालियर 474,00।।
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