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था, उससे बचने के लिए भद्रबाह मुनि के नेतृत्व में कई कर्नाटक ही नहीं अपितु समस्त भारतवर्ष का अत्यन्त श्रमण दक्षिण की ओर चले गये । भद्रबाहु मुनि ने अनूठा भव्य शिल्प जिसको कहा जा सकता है वह है श्रमण-वेल-गोल के निकट कर्नाटक राज्य में चन्द्रगिरी गोमेटेश्वर को श्रावण बेलगोल स्थित शैल प्रतिमा, यह नामक पर्वत पर तपस्या करते हुए देह त्याग किया। एकाश्य शिल्प राछमल्ल सत्यवाक गगराजा के काल में ऐहोली में मेगुती का जैन मंदिर 644 ई० में चालुक्य उसके मत्री चामण्डय राय ने बनवाया था। इस प्रचण्ड नरेश द्वितीय पुलकेशी के काल में बनाया गया है। मति का समय 983 ई. माना जाता है। कर्नाटक में
गोमदेश्वर (वाहुबलि) स्वामी की एकाश्य शैल प्रतिमा, श्रवण बेलगोला, (कर्नाटक),983 ईस्वी
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