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________________ तीर्थकर महावीर की स्मृति में प्रकाशित इस रमृति-ग्रन्थ को पाठकों को प्रस्तुत करते हुए मुझे अत्याधिक हर्ष का अनुभव हो रहा है। जीवाजी विश्वविद्यालय के लिए यह परम सौभाग्य का विषय है कि वह अपने इस प्रकाशन को, एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ के रूप में प्रकाशित कर अपने कर्तव्य निर्वहन के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि को प्राप्त कर सका। ___ तीर्थकर महावीर के पच्चीस सौ वे महापरिनिर्वाण वर्ष के अवसर पर जब विश्वव्यापी स्तर पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा था, तब विश्वविद्यालय परिवार के कुछ प्रमुख सदस्यों के मन में भी इस अवसर पर कुछ रचनात्मक कार्य करने की कल्पना उजागर होने पर इसके क्रियान्वयन की समस्या उत्पन्न हुई। विकास की शैशवावस्था से गुजर रहे, प्रगति पथ पर गतिशील इस विश्वविद्यालय के समक्ष कुछ आर्थिक कठिनाइयाँ थीं। विश्वविद्यालय ने इस हेतु मध्यप्रदेश शासन द्वारा गठित महावीर निर्वाण समिति, मध्यप्रदेश के सम्मुख एक पांच दिवसीय व्याख्यानमाला के आयोजन का प्रस्ताव भेजकर आर्थिक सहायता की मांग की । यद्यपि विश्वविद्यालय की ओर से प्रस्ताव भेजने में कुछ विलम्ब हो गया था, तथापि विश्वविद्यालय महासभा के सदस्य श्री सरदारसिंहजी चौरड़िया तथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012001
Book TitleTirthankar Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherJivaji Vishwavidyalaya Gwalior
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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