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प्रथमप्रकाश. तथा शीत, उष्ण अने मिश्र, ए नव प्रकारनी प्राणीउनी योनियो बे. हवे पृथ्वीकाय, अपकाय, तेउकाय, तथा वाउकाय ए चारे अनुक्रमें सात सात लाख योनिवाला बे, अने प्रत्येक वनस्पतिकायनी दशलाख योनि, तथा साधारण वनस्पतिकायनी चौद लाख योनियो बे, बेडियो, तेइंजियो, तथा चरिंजियोनी अनुक्रमे बबे लाख योनियो बे. मनुष्योनी चौद लाख योनियो , तथा नारकी, तिर्यंच अने देवोनी दरेकनी चचार लाख योनियो बे. एवी रीतें सघला प्राणीउनी सर्वज्ञ प्रजुए चोराशी लाख योनियो कहेली . जीवोनां चौद नेदो नीचे प्रमाणे . सूक्ष्म एकेंडि, तथा बादर एकेंडि, बेइंडि, त्रेषि, चौरिंज, असन्नी पंचेंजि, तथा सन्नी पंचेंजी, ए सातेना पर्याप्ता अने अपर्याप्ता, एम बे प्रकारथी, चौद जेदो थाय . तथा चौद मार्गणा पण नीचे प्रमाणे . गति. ईजिय, काय, जोग, वेद, ज्ञान, कषाय, संयम, आहार, दृष्टि, लेश्या, जव, सम्यक्त्व, तथा संज्ञी ए चौद मार्गणा ने, गुणगणां चौद बे, तेऊन, नाम नीचे प्रमाणे २. मिथ्यात्व, साखादन, मिश्र, अविरति सम्यग्दृष्टि देशविरति, प्रमत्त, अप्रमत्त, निवृत्तिबादर, अनिवृत्तिबादर, सूक्ष्मसंपराय, प्रशांतमोह, क्षीणमोह, सयोगी, तथा अयोगी, ए चौद गुणगणां बे. हवे मिथ्यात्वनो उदय होवाथी पहेलु मिथ्यात्व गुणगणुं होय . तेने जनकपणानी अपेक्षाथी गुणगाणानी संज्ञा आपेली बे. मिथ्यात्वनो उदय न होय, अने अनंतानुबंधिनी चोकडीनो उदय होते ते, सम्यग दृष्टिवालुं साखादन नामर्नु बीजं गुणगणुं होय डे, तथा तेनी उत्कृष्टी स्थिति श्रावलीउनी . सम्यक्त्व अने मिथ्यात्वना योगश्री त्रीजु मिश्रगुणगणुं थाय , तथा तेनी उत्कृष्टी स्थिति अंतरमुहूर्त्तनी बे, तथा पचखाणनो उदय न थवाथी चोथु अविरति सम्यग्दृष्टि नामें गुणगणुं थाय . वली पचखाणनो उदय होते ते पांचमुं देशविरति नामें गुपगणुं थाय बे. तथा संयम लइ ज्यारे प्रमादमा रहे, त्यारे तेने प्रमत्त नामें हुं गुणगणुं होय. ज्यारे संयम लश् प्रमाद न करे, त्यारे तेने श्रप्रमत्त नामे सातमुं गुणगएं होय; ते बन्ने गुणगणानुं परावर्त अंतर्मुहू” थया करे बे. पेहेलां कर्मोनी स्थिति घातने नहीं करतो हतो, ते कराणी तेथी, ते "अपूर्वकरण" नामें आठमुं गुणगणुं के जेतुं बीजुं नाम