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योगशास्त्र. वीरीत निदावास्ते जमता प्रजुने, निदाना तत्वनियमोने नहि जाणनार युगलीश्रा, कन्या, हाथी, तथा घोडा श्रादिकनी नेट धरवा लाग्या, माटे |धकार ने एवा सरलपणाने !!! एवी रीतें निदा न पामता थका प्रनु परिसहोने सहन करता, तथा क्लेशरहित मनवाला थईने मौनव्रत ग्रहण करता हवा. __ पठी ते जुख्या रहेता चार हजार साधुए प्रजुने गेडी दीधा, कारण के प्रनु सरखा सत्व (धैर्य) वालो कोण होय ? पढी ते तो वनमा जश कंदमूल तथा फलोना थाहार करनारा तापसो थया; एवी रीतें मोक्षमार्गथी खसीने जवाटवीना मार्गमां दाखल थयेला ते ने धिक्कार ३. पठी प्रजुनी थाज्ञाथी क्यांक गएला कड महाकछना नमि विनमिनामें वे पुत्रो, ज्यां प्रनु प्रतिमा धारीने रह्या हता त्यां आव्या. तथा प्रजुने नमस्कार करी विनति करवा लाग्या के, हे खामि; अमारो कोई धणी नथी, माटे श्राप श्रमोने राज्य थापो ? एवा ते सेवकोने पण प्रजुयें तो कंश जवाव प्राप्यो नहीं, कारण के. ममतारहित माणसो, कोश्नी शछित मागणीथी लिप्त थता नथी. ते प्रजुनी पासे रही हाथमां तलवार खेंची, हमेशां, सूर्य तथा चंड जेम मेरुने, तेम प्रजुने सेववा लाग्या. पबी एक दहाडो प्रजुने वांदवाने श्रावेला धरणे पूछ्युं के, तमो कोण हो ? तथा तमारे शुं काम बे ? त्यारे तेए कह्यु के, अमो चाकरो बिये, अने था प्रनु अमारा खामी बे, अमोने तेउए क्यांक जवानो हुकम कर्यो हतो, अने पालथी पोताना सघला पुत्रोने तेमणे राज्य वेहेची थाप्यु. जो के, तेमणे सघj तजी दी, बे, तो पण ते श्रमोने रा ज्य श्रापशे, अने तेथी सेवकें, “ तेमनी पासे कंश बे के, नहीं" तेनो विचार करवो नहीं, पण तेजेए तो तेमनी सेवाज करवी. त्यारे घरणेंकडं के, तमो नरत पासे जश् मागणी करो ? कारण के, प्रज्जु तो ममता अने परिग्रहरहित , माटे ते तमोने आजे शुं श्रापी शके? त्यारे ते कुमारोए कह्यु के, श्रा जगतना स्वामिने मेलवीने श्रमो वीजो स्वामी करशुं नहीं, कारण के, कल्पवृदने मेलवीने कंथेर ( केरडा )ने कोण सेवे ? वली अमो आ प्रजुने गेडीने बीजा पासे याचना करशुं नहीं कारण के, बपैयो वर्षादने तजीने शुं बीजापासे याचना करे ? वली