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उपरि) .....
. तत्वार्थसूत्र-प्रश्नाल२ ५४१ (१९) (उपरि+उपरि) (२०) (सौधर्म+ऐशान+सानत्कुमार+माहेन्द्र ब्रह्मलोक+लान्तक महाशुक्र+
सहस्रारेषु+आनतप्राणतयो: आरण+अच्युतयोः+नवसुनिवेयकेषु+ विजय वैजयन्त+जयन्त+अपराजितेषु+सर्वार्थसिद्ध+च
मार्थ भवनवासिन:-~सवनवासिनियता वो असुर-गसुभा२ . . . नाग-नागभार . . . . विद्युत्-विद्युत्भार . सुपर्ण-सुपर्ण मार अग्नि-२मानमा२ . वात:---वायुभार स्तनित-मेधभार, ... उदधि-धिभार · द्वीप-दीपभार...दिक्कुमार-शुभार ।
व्यंतरा:-यंत निय.. . किन्नर- २ किम्पुरुष-५२५.. ..... — महोरंग- महेश . गांधर्व-गांध.
यक्ष-यक्ष राक्षस-राक्षस
भूत-भूत पिशाचा:-पिशाय .. ज्योतिष्काः--ज्योति निय सूर्याः-सूर्यो
चन्द्रमसः-न्यद्री ... . .
. नक्षत्र-नक्षत्र ... प्रकीर्णतारका:--प्राण ... .. मेरुप्रदक्षिणा-भेरुनी यारे तुमे प्रदक्षि४२वायाणा नित्यगतयः-नित्यगतिशील . नृलोके-मनुष्यसो तत्कृत:-तेमनाथी राय कालविभाग:-सविलाय... वहिः-८२ . . . . . अवस्थिता--स्थि२ २९दा हाय छ वैमानिका:-वैमानि वो : कल्पोपपन्ना:-क्ष्योपपन्न३५
कल्पातीताः-८पातीत३५ । उपरि उपरि-8५२ ५२ । . सौधर्म-सौधर्म
ऐशान-मशान ....
ग्रह-श्रह .
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ग्रह-
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