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યુગપ્રધાન જિનચંદ્રસૂરિ मूरति मोहन वेलडी रे, .
मन मेल्हणीय न जाय, मेरे मोहन!। ते स्वउ मोहन तइ कियऊ हो लाल,
विरते मोहि वताय, मेरे मोहन ! ॥४॥
पोन्हऊ प्रगट्यऊ दूधनऊ रे,
सुर नर असुर समक्ख, मेरे मोहन !। प्रेम किसऊ ते पाछलऊ हो लाल,
___ कहो प्रभु ते परतक्ख, मेरे मोहन ! ॥५॥ जिणवर कहइ ए नेहलू रे,
रह्या उअरइ छयासी रात, मेरे मोहन! तुम्हनइ हेज घणऊ तिणइ हो लाल,
हुं सुत तूं मेरी मात, मेरे मोहन!॥६॥ वीर तणी वाणी सुणी रे,
__ कहइ इम अम्हां तात, मेरे मोहन !। वीर प्रसू हूआ म्हे हिवइ हो लाल, ___म्हे बेऊ जगत्र विख्यात, मेरे मोहन !॥७॥ एम कहीनइ आदरइ रे, . चतुर महाव्रत चा(र)ह चा(र)ह, मेरे मोहन!। नेह इसऊ जगि जाणीयइ हो लाल,
मा पिउ सुत त्रिहुं मांहि, मेरे मोहन ! ॥८॥ तीने एक मत थई रे,
पाम्य परमाणंद, मेरे मोहन!। श्रीजिणचंद कहइ इसुं रे लाल,
द्यो मुझ चिरि आणंद, मेरे मोहन ! ॥९॥ वीर सुणो मुझ वालहा हो लाल।
इति श्रीमहावीर-देवाणंदा । श्रीरस्तु।