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प्रस्तावना. जैनोमां जे जुदा जुदा संप्रदाय पडेलछे तेनुं कारण पण पूर्वोक्त शब्दो ना मनगमता जुदा जुदा अर्थ करवातुंछे आवे प्रसंगे तमाम संप्रदायन अनुकूळ, तेमन सूत्र शैली अनुसार अर्थ गोठववो तेमां द्रव्य, क्षेत्र, काळ, भाव अने विद्वान् वर्गना अभिप्रायोनो आश्रय लेवो पडयोछे.
जे वखते सूत्रो लखायां अने हाल जे वखते आपणे ते वांचीए छीए तेमां संख्याबंध वर्षोंनो आंतरोछे, जे दरम्यान जमानो विद्या, कळा, कौशल्य, अने हुन्नरमा वहु आगळ वधेलोछे अने वर्तमान विदेशी विद्वानो: नी दर्शनीक शक्ति आगळ सूत्रज्ञानने विषे पण पूर्ण माहीती धरावनार पुरुषोनी पुरती खोटछे, तेनुं कारण आपणा रुढ विचारोने वळगी रहेवानी आपणी टेबछे. एक कवितछे के. "Be a Roman in Rome" एटले के देश काळने मान आपीने वर्तवाथी स्वधर्म तेमन व्यवहार पक्षमा सुगमता रहेछे. आ सूत्रना भाषांतर संवंये "मुंबइ समाचार" मांजे कडवी टीकाओ चर्चापत्र तरीके प्रसिद्ध थयेली छे अने जेमा मात्र आंधळी श्रद्धापर दोराइ निष्पक्षपात द्रष्टियी दूर रही, लखाण करवामां आव्युछे, ते अमारी समज चहार हतु एम कोइए धारवा नथी, अमे पोते पण कबुल करीए छीए के पवित्र सूत्रानां भाषान्तर करवां अने तेमनु रहस्य बहार लावलूं ए वढुज गुश्केल अने महाभारत काम छे. परन्तु हालना द्रव्य, क्षेत्र, काल, भावने अनुसरी, केळवाएलो वर्ग जेना पर भविष्यनी प्रजा अने स्वधर्मना उदयनो आधार छ तेओ, आवां मूळ सूत्रो भंडारोमां सदतां पडेलां होवाथी, समजवाने, भापाना अजाणपणाने लीधे, प्रयत्न करता नधी , ने अटकाववानी खातर “ Something is better than not. hing " ए न्यायने अनुसारे अमोए आ भाषान्तर एक विहान साधु मुनिराजनी काळजी भरी देखरेख नीचे तैयार करेलुं छे. जो के ज्ञाना परणीय कर्मनी वाहुल्यताने लइने अमो निर्दोष होवानो दावो करी शकता नथी छतां अमोए सर्व संप्रदायवालाओने अनुकुळ पडे तेम सादी अने सरळ भापामां भाषान्तर करवा यथाशक्ति प्रयत्न करलो छे-ज्यारे सघळी कोमो धर्म ज्ञानमा उंडी उतरती जइ पोत पोतानी भाषामा पोतानां धर्म पुस्तको प्रसिद्ध कर छे त्यारे जैन मंत्रो के जे मागधी भाषामां लखारोडां