________________
[१२]
प्रस्तावना. आ भापांतर तैयार करतां जो के पूर्ण काळजी राखवामां आवी छे, छतां पण-पूर्वे वधिला ज्ञानावरणीय कर्मना उदयथी, कोइ पण दोष रहेलो द्रष्टिगोचर थाय तो ते माटे बीजी आवृत्तिमा सुधारो थवा सूचना करवा सुज्ञ वाचकवर्गने सविनय सप्रेम विज्ञप्ति छे. आवां भाषांतरोधी आचार विचारमा नीची गति लेतां जैनो पोतानी भूलो समजता थशे एम अमने खात्री छ. ___ कोइ पण पुस्तकनु भाषान्तर करती वखते तेने लगती अतिहासिक विनानो विचार करवो जोइए. आपणां सूत्रोने ज्ञानीओए रचेला छे. तेओ आप्त पुरुपो होवाथी, कार्यपरत्वे अधिकारी हता, तेथी हालना भाषान्तरना वांचकोने तेओनां तिहासिक वृत्तांतो जाणवानी आवश्य क्ता छे. पण जेओ जैन कहेवाय छ तेओ मांहेना भाग्येज कोइ आ महात्माओनां वृत्तांतथी अज्ञान हशे. तेमज आ भाषान्लरना छेवटना भागमां पण श्रमण भगवंत श्रीमहावीर तीर्थंकरर्नु अतिहासिक वृतांत आवी जतुं होवाथी अत्रे जु, आपका प्रयास करेलो नथी. ते ज्ञानी पुरुषोनां ज्ञान,दर्शन, चारित्रनु आवेहुब वर्णन करयु ते पोतानी अक्कलनी कसोटी कराववानी साथ मूर्ख बनवा जे छे. आवा ज्ञानसंपन्न महात्माओनां रचेलां सूनो उपर पूर्वे थवेला विद्वान आचार्योए नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि, टीका वीगेरे करीने तेनो संपूर्ण आशय समजादवा मथन करेलु छ तेमां पण ठेकाणे ठेकाणे “ तत्वं कवलिगम्यं " एला शब्दो द्राष्ट्र गोचर थाय छ; जे शब्दो कांई ओछा अर्थसूचक नथी.
आपणे आपणी परंपराए सांभळेलु छ के ज्ञानीना नाननो अनंतमो भाग गणधर महाराज समजी शके तेनो पण बहु थाडो भाग भाचार्यजी समजी शके वीगेरे. आ उपरथी दांचकवर्गने खात्री थंश के सूत्रोना भाषान्तर करी तेनुं रहस्य समनावg ए ओछु मुश्कल काम नथी सूत्रोमा टाम ठाम केटलाएक एवा शब्दो आवे छे के तेना शब्दार्थ अने भावार्थ तरफ विचार करतां दंघ येसतो आशय मळी शकतो नधी. तेमां वनस्पति वीगेरेना केटलांएक एषां नामो आवछे के याजना जमाना ना विद्वानो-डॉकटरो, रसायणीओ अने बॉटेनिस्टो पण भाग्येन जाणता होय; केटलापक एवा शब्दो आवेछे के अमाने जे मुस्केली पहीले तेनो ख्याल मात्र विद्वान् वगन करी कशे.