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अध्ययन दल , से मिक्खू का (२) गाहालक्कुल जान पविढे सम्ाणे से जं पुण जाणेजा अलणं वा (४) बहवे सा माहगा--आतिधि किवण-वणीनए सदिस्त पाणाई (४) जाब आहट्ट बेतेति, तं तहप्पगार अपर्ण वा () अपरिसंतरकडं जबहियाणीहडं अगत्तष्ट्रिय अपरिभुतं अणासेवितं अफासुयं अणेसपिज्ज जाद णो पडिग्गाहेज्जा (५३६) ___अह पुण एवं जाणेज्जा पुरिसंतकडं पहियानीहडं भत्ततिर परिभुत्वं आसेवियं फारसुयं एसणिज्ज जाव पडिग्गाहेज्जा (५३७)
' से सिक्ख वा (२) गाहावाकुलं पिंडवायएडियाए पदिसिन्तुक वा से जाई पुण कुलाई आणेजा, ईमसु खलु कुलेसु णितिए पिंडे दिजिति नितिए अरगपिंडे दिज्जति, णितिए भाए दिज्जति णितिर अबइमाए दिग्जति, तहमगाराई कुलाई णिशियाई णितियाणाई, जो मचाए पाणाए दा पनिसेज वा णिकरतोज्ज दा (५३८)
जे भोजन, अहस्ये एमाण, आम, शाहुप्पा, दीन, के भावारणमा भाटे एस्टुं झेप पर ते रोयो पोरेज वा होय, घी बाहेद पणा नहि लान्यु होरह জ্বল চুল লাল হবে ? ও হজত্ব ছ ন ই সমস্তু ঐ অনपीय मणीने युनिट नहि . [८३६]
पण या भोजन सइये बीजाना हा राज्यु होय, घर बाहेर रालयु होस ने पोते पोताला पर्नु महदि से बापरेल पण होय तो ले मालक अने पर
SAणीने ग्रहण का दाद देवा साहाय अथमा आलमको मतदा
. कुळोवां हमेशा दान देवातुं होय अथवा जमवी ऐका मारमा दाम মান্ত অতি কাজী দাঙ্গা থানা ছাত্ব অধ, আস্ত মানলা দিবা? के स्तुशि वालमा अपरनो झए अने ले च्या घणा सच मालवा की असा हो नेपा कुलोमा पुरिए माहार पानी माद नमा, १५३८]