________________
प्रस्तावना २ श्रीमहावीरस्वामी काश्यप गोत्री इता तेमने अनिवैश्यायन गोली ठराव्या. ( एटले के पार्श्वनाथ प्रभुना संतानीआ विचरता (जे जननें प्राचीनपणुं साबीत करेछे ) अने श्रीमहावीरस्वामी अग्निवैश्यायन गोत्री नहि पण काश्यप गोबी हता अग्निवैश्यायन गोनी तो तेमना शिष्य सुधर्मास्वामी हता.
आ सिवाय जैननी प्राचीनता संबंधे खास एक जुदुज पुस्तके नाम ( Mahavira, and his predecessors ) " महावीर अने तेना अग्रगामि " ए नायर्नु मि. जेकोबीए प्रसिद्ध करेलुंछे जेमां जैन मार्गनी प्राचीनता संबंध पुरावा सहीत आवेहुब वर्णन करेलुंछे ते सिवाय मि. लुइराइस, ढोकटर फयुर, मि. क्लोट, अने डोकटर चुलर जेवा विद्वानोए पण जैन-फिलोसोफीने मांटे षडुज उत्तम अभिप्राय दर्शावेल छे मात्र तओ आवी वाणीीज अटक्या नथी परंतु कर्तव्यमा आगळ वधी जैन-पुस्तको ना भाषान्तर प्रसिद्ध करता जायछे सूत्रोनी भापा तेओने विदेशी होवा उतां अथाग श्रम लइ तेनुं रहस्य समजवा माटे तेओ जे मधन करे छ ते आ देशना जैनोने शरममां नाखेछे अने जागृत यवाने आडकतरी रीते फटको मारे छे.
होकटर होरनले उपासकदशांग सूत्रनुं जे भाषांतर प्रसिद्ध कयुके अने तेमा जे धोरण अंगिकार कर्युछे तेने दरेक भाषांतरकीए आजना जमाना माटे अनुसरवू ए उत्तयछे. जैन सूत्रोना भाषांतर करतां पाश्चिन मात्य विद्वानो व्याकरणना दोपो उपर खास ध्यान आपता जणायछे, आम थवाथी मूळ आशय हुटमा समजावामा कोइ प्रसंगे कदाच तेओ पछात रहेला जोवामां आवतो तेथी तेमनी विद्वता संबंधे कशी न्युनता मानवानी नयी कारण के अर्वाचीन समयमां जैनना सूत्रोनी जे हस्तलिखित प्रतोय तेमा लेखकना इस्त दोषधी अथवा तो परंपरायी काइक न्यूनाधिक लखा बाथी, शवदानी विभक्ति आधीपाछी यइ जंबाना दोपोलागवा संभवछे भने तेथी भाषांतरमा वखते फेर पढी जवा संभवछे. द्रष्टांत तरीके ढोलटर होनल पोताना उपासकदशांग सूत्रना भापांतरमा छत्रीसमे पाने तेमज में जगोए ते वाकय आवेळे वे जगोए "अहासूई देवाणुप्पिया मा पटी यचं करेह" ए, वायर्नु भापांतर एवी रीते करने के fay it to please