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DESCRIPTIVE CATALOGUE OF AYURVEDIC MANUSCRIPTS
112 I.M. 6310
ज्वरनाशनमन्त्रः Jvaranāśanamantraḥ
Substance : Country-made paper. Size : 31 X 11.5 cms, Fo lios: 1. Lines : 18. Letters: 12. Script : Nāgari. Condition: Fresh Extent: Incomplete.
The folio has no pagination mark. After the 'mantra' follows some vidhih (i.e. regulation) written in Hindi lan. guage. Beginning :
अथ ज्वरनाशनमंत्र(त्रः) ॥ श्री ग ऊँ नमो भगवते अमृतरुद्राय मम हृदये अमृताभिवर्षाय मम ज्वरशांति (ति) कुरू कुरू स्वाहा इति सिद्धिमंत्रं सर्वज्वरनाशार्थ १०८ अष्टोत्तर(शत)वारं जपेत् समुद्रस्योत्तरे तीरे हि विदोनात्मवानरः चातुर्थिकज्वरं हंति
लिखित्वा यस्तु पश्यति इति मंत्र १०८ जपेत् । End :
विधि जलसे भूमि पवित्र करके वालिपवाके एक कलसे मे जलभरके उस पर घृतका दीपकनारके ध्यान करके गन्धाभतसे फुलसहित पूजनकरके नैवेद्य लगा आचमन करा करके ध्यान कर पाठ करे(र) समाप्तिपर ३५॥ वा ७ पाठसे कुशालेकर झाड देना श(असा)(ध्य) ज्वरो नाशयति १