________________
। रतन परीक्षक। ॥ हाथ अंगूठी धारके । परम हर्ष मन पाय ॥ ॥ रतन पारखी जोतहां । सी सब लिये बुलाय॥ ॥ कही परीक्षा कीजिए । तोल मोल विस्तार ॥ ॥ रतन पारखीसभ मिले। मिले कही संमति धार। ॥ रतन पारखी मुख्य इक। राय भगौती दास ॥ ॥श्रीमालकौम के बीच ही। तो उन कियो प्रकास ॥ ॥कही संमंती पाय के । चौवी रत्ती तोल ॥ ॥ अवर परीक्षा होयगी। माणिक जाहिअमोल॥ ॥ जटा मुंदरी वीचही। नाछिन भिंन कराय॥ ॥ नावी रत्ती सोभयो। विश्वे पांच घटाय ।। ॥तोल परीक्षा देखके । वादशाह हिल जान ॥ ॥ कही हुकम देनाहीछिन। माणिक पूरा मांन॥ ॥ ौती रत्ती वीच हो । विश्वे पान प्रमान।। ॥ अपना लोद बताइ । माणिक पूरी जान ।। ।। चोवी रत्तो टंक है । एक टंक प्रति जाय॥ ॥हीन नोल कर दीजिए । माणिक हीन न होय ॥ । ताहि तोल कमती भयो। हुकम वात पह चांन । ॥ दंक पांच विश्व घटा । अव नक सोई प्रमोन ॥
॥ चौपई ।। तोफुनि कीमत जुगत वताई। रजत थाल इकरियों मंगाई ॥ मोती थाल वीच घर वाए। माणिक छोड लाल दरसाए । ॥ मोती श्वेत लाल सब जानत। उत्तम माणिक ताहि पानत। ॥ चौवी रत्ती माणिक तोल । करोड रुपेआ ताको मोल॥ ॥ वाद शाह सुन आनंद पायो । ताहि मुंदरी बीच जडायो॥ ॥ तो फुनिका कल श्वेत मनाये। माणिक उपर ताहि धरावे ॥ ॥ कपोन रुधिर का विंदु होई। समान रंगमाणिक शुभसोई।।