________________
.2.
| रतनपरीक्षक |
रतो सो पक्की कहा | तासम लीजो तोल ॥ ॥ चौपाई ॥
भूंनी विश्वे पांच विचारी । रत्ती आता एक सम्हरो ॥ पांच रुपये तक सो होई । आगे दस विश्वे सुनो सोई ॥ मैं आने रती से जानो । दस रुपए तक सो मानो ॥ दश विश्व से ऊपर जोई | पंचदरा विश्वे तक जो होई ॥ पाँच आने सों स्त्री जाती । रुपैया हाद सतक सोमाली || सुन्नी रती एक विचारो | कीमत आने आट मझारो ॥ पंदरा रुपए तक है सोई । कीम घाट मला होई ॥ आगे घाट तावडा जानो । बाग आने ही मानो ॥
पचास रुपए रती सोई । जावित क्रम से कीमत होई ॥ ज्यों ज्यों बढे सुआई तोल । त्यो तार दूंना मोल ॥ और भेद आगे इक सोई । उत्तम नाणिक सुनि सोई । ina a fraमी कह्यां । सोला से अस्सी त यो १६८० बादशाह दक्षिण दिस जांनो | ताने सोह नाम इक मानो ॥ ताके पास अमोलक थॉन । उत्तम माणिक सो पर मांत ॥ शाहजहां दिल्ली पन होई । माणिक सुना अमोलक सोई ॥ कर विचार निश्चय मन धारी । माणिक मिले मोहि इक वारी ॥ ॥ दोहरो ||
॥ शाहजहां दिल्ली पती । वद शाह वल वॉन ॥ ॥ सेना साज समाज लै । ताहि कियो प्रस्थांन ॥ || दक्षिण देस अपार है । जीत लियो वल पाय ॥ ॥ वन सुख सोभा जीत के । माणिक लियो छिनाय ॥ ॥ शाहजहाँ मन हर्प हैं । ले माणिक वल संग ॥ पुर दाखल भयो । कर कर जंग उमंग ॥
11
दिल्ली