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अंगरेजों ने हमाग व्यापार कैसे बरबाद किया।
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जब विदेशी व्यापारी ( अंगरेज़ ) अपने प्रतिस्पर्धियों ( हिन्दुस्थानियों) का मुकाबला उचित मार्ग से कर न सके, तब वे उनका गला घोटने ( उनक व्यापार को बरबाद करने) के लिये राजनैतिक अनाति के शस्त्र का उपयोग करने लगे।"
अंगरेज़ लोगों ने, जानबूझकर, केवल स्वार्थ-बुद्धि से केवल अपना पेट भरने के लिए इस देश का व्यापार बरबाद कर दिया और इस देश के लोगों को कृषि पर निर्वाह करने और केवल कच्चा माल तैयार करने को मजबूर किया। सन् १८३३ ई. में कंपनी के कारवार को फिर जांच हुई;
और सन् १८४० ई. में, हिन्दुस्थान के व्यापार के संबंध में तहकोकात करन के लिये, इंग्लैन्ड में एक कमेटी मुकरर हुई। उस कमेटो में बहुत से अंगरेज अफसरों ने गवाहो दी थी। उससे भी यही बात पाई जाती है कि अंगरेजो ने, इम देश का व्यापार, केवल अपने हित के लिये, नष्ट कर डाला । यह बात नीचे लिखे हुए कुछ गवाहों के बयान से स्पष्ट विदित हो जायगी।
ट्रेवीलियन माहब कहते हैं:--"हम लोगों ने हिन्दुस्थानियों का व्यापार चौपट कर दिया। अब उन लोगों को, भूमि की उपज के सिवा अन्य कोई आधार नहीं है।"
शोर साहब कहते हैं:--" बहुधा ऐसा कहा जाता है, कि इंग्लैन्ड के व्यापार के लिये हिन्दुस्थान के व्यापार का लोप करना, अंगरेजों की प्रवीणता का, एक दीप्तिमान उदाहरण है । मेरी समझ में, यह इस बात का दृढ़ प्रमाण है कि अगरेजों ने हिंदुस्थान में किस तरह जुल्म और उपद्रव किया; और उन लोगों ने अपने देश की भलाई के लिये हिन्दुस्थान को किस तरह निर्धन-दरिद्र-सत्वहीन-कर डाला ।"
लारपेन्ट साहब कहते हैं: -"हम लोगों ने हिन्दुस्थान की कारीगरी का नाश किया है।"
मान्टगोमरी मार्टिन साहब कहते हैं:-"हम लोगों ने अपना माल जबरदस्ती से हिंदुस्थानियों से लिवाया है। हमारे ऊनी कपड़ों पर कुछ भी कर नहीं है और सूती कपड़ों पर सिर्फ २३ सैकड़ा कर है। परंतु हिन्दु