________________
बायकाट अथवा बहिष्कार और स्वदेशी वस्तुच्यवहार की प्रतिक्षा । १७
पहला उदाहरण अमेरिका देश का है । स्वाधीनता प्राप्त करने के पहले वह अंगरेजों के अधीन था। उस देश के निवासियों को अपने राज्यप्रबंध में किसी प्रकार का हक न था । अंगरेजों की अनियंत्रित और प्रजापीड़क राजसत्ता से दुःखित होकर, सन् १७६५-६६ ईस्वी में, अमेरिकन लोगों ने विदेशी वस्तु-विशेषतः इंग्लैंड देश की वस्तु-के त्याग और स्वदेशी वस्तु के व्यवहार की प्रतिज्ञा की। उन लोगों ने न्यूयार्क-शहर में एक मण्डली स्थापित की, जिसके द्वारा स्वदेशी वस्तु के व्यवहार करने की उत्तेजना दी जाती थी । इसका उल्लेख अमेरिका देश के इतिहास में इस प्रकार किया गया है:
The making of linen, i woth from the woul, buch of sheep and be n , of parties, hues : Mythes eri sher iron articles, of spirits, of paper hanging du was to be primului wish great ardour and CUVITY, mi these forts of the mercantile and manufacturing comminiy were warmly supported by the people at large; il preluctions of Amerim Industry W ronght. with asidity; it herime tin.jiashion Howgill :1337* Pie mussed in clothes of the country; and it is sclared thai the general yol for promoting the native woollen mami lacfare oven give rise to it resolution greinst cuting lamb or buying vineat from alini.ther who should kill links., भावार्थ:-ऊनी और सूती कपड़े, फावड़ा, कुदाली, हंसिया आदि लोहे की चीजें बहुतायत से बनने लगी। व्यापारियों और कारखानेवालों को सर्व-साधारण लोगों की
ओर से सहायता और सहानुभूति बहुत मिलती थी। अमेरिका देश की बनी हुई वस्तु बड़े चाव से खरीदी जाती थी। उस समय देशी कपड़े पहिरने ओदने का, सब लोगों में, रवाज (फैशन) हो गया था । देशी-ऊनी कपड़े के संबंध में उन लोगों का उत्साह इतना बढ़ गया था, कि उन लोगों ने भेड़ का मांस खाना छोड़ दिया और यह निश्चय किया कि यदि कोई कसाई भेड़ मारेगा तो उसके पास से कोई आदमी गोश्त न खरीदे।
दूसरा उदाहरण इटाली देश का है । जिस समय वह आस्ट्रिया देश के आधीन था उस समय इटालियन लोगों ने, विदेशी अधिकारियों को बहिष्कृत करकं, राज्यप्रबंध के काम में बड़ी कठिनाई उत्पन्न कर नी थी । वेडरबर्न साहब कहते हैं कि. गदि हिंदुस्थानी भी इसी