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________________ स्वदेशी-आन्दोलन और बायकाट । उपाय का स्वीकार करें तो अंगरेजों को हिंदुस्थान के राज्य का प्रबंध करना बड़ा कठिन हो जायगा । परंतु सम्प्रति हिन्दुस्थान के लोग अपने विदेशी राजसत्ताधिकारियों का बहिष्कृत करना नहीं चाहते; वे उन्हीं लोगों की सहायता से अपनी उन्नति करने का प्रयत्न कर रहे हैं । अतएव अंगरेजों को उचित है कि वे शीघ्र ही मर्चत हो जॉय और हिन्दुस्थानियों की प्रार्थना पर ध्यान दें, और वे जो कुछ कहने हैं उसको कबूल करें। इससे दोनों देशों के लोगों का मुम्ब होगा। तीसरा उदाहरण चीन दश का है। चीनियों के साथ अमेरिका के लोग बहुत बुरी तरह का बर्ताव करते थे; अतएव उन लोगों ने, हाल ही में, अमेरिका देश की बनी हुई वस्तु के त्याग का उद्योग आरंभ किया है। इसका फल यह हुआ कि चीनियों को खुश करने का, अमेरिका की गवर्नमेन्ट, यत्न कर रही है । इसके संबंध में पायोनियर-पत्र लिखता है कि .. चीनियों के बायकाट स यदि अमेरिका के व्यापार में कुछ हानि होगी तो चीनियों का इष्ट हंतु शीघ्र सफल हो जायगा; और चीनियों के विरुद्ध जो आईन अमेरिका में बनाये गये हैं व शीघ्र ही रद कर दिये जायँग । " यदि उक्त वाक्य में " चीनियों" के स्थान पर " हिन्दुस्थानियों " और .. अमेरिका " के स्थान पर " इंगलैण्ड ' लिख दिया जाय, ना पायोनियर के शब्दों ही से इस बात का निर्णय हा मकता है कि, हम लोगों के स्वदेशीआन्दोलन और विदेशी वस्तु के त्याग का परिणाम क्या होगा । चौथा उदाहरण खुद हमार अंगरज महाराज का है। इन लोगों ने तो, एक ममय, अपने निज के व्यापार के लाभार्थ, बहिष्कार (बायकाट) से भी अधिक तीव्र-- अत्यंत अनुचित - उपायों का अवलंबन किया था । प्राचीन समय में भारतवर्ष कारीगरी के कामों के लिये बहुत प्रसिद्ध था । उस समय यहां के बने अनेक पदार्थ इंगलैण्ड और अन्य देशों को भेजे जाते थे । इंगलैण्ड के लांग हमार व्यापार की बराबरी नहीं कर सकते थे। तब उन लोगों ने कानून बनाकर, हिन्दुस्थानी वस्तुओं पर बहुत भारी कर लगाकर, हमारे व्यापार की अपने देश से बहिष्कृत कर दिया। इस विषय की चर्चा "अंगरेजों ने हमारा
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
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