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________________ (१७५) ( 729 ) सं० ११०१ वैशाष : श्री आदित्य माग गोत्रे सघ• कुलियात्मजा सा० काम पुत्रण स-- पुत्र भेयसे श्री शांति विवं कारितं प्रति० श्री कक्क सूरिभिः । (730 ) सं० १५०१ वर्ष माघ यदि ६ बुधे उपकेश ज्ञाती आविणाग गोत्र सा० कालू पु. वील्ला भार्या देवा आत्म श्रेयसे श्री श्रेयांस विवं कारितं श्री उकेश गच्छे ककुदाचार्य संताने प्रतिष्ठितं श्री कुकुम सूरिभिः । ( 731 ) सं० १५०४ वैशाख सु०७ दिने श्री उकेश वंशे सा० डोडा पुत्र सा. नाय --- सहितेन स्वपुण्यार्य श्री पार्व जिन विवं का प्र० श्री खरतरगच्छे श्रोजिन भद्र सूरिभिः । ( 732 ) सं० १५०६ वर्षे कार्तिक सु० १३ गुरौ, उपकेश वंशे वहरा गोत्रे सा०---पुत्र हरिपाल भार्या राजलदे पुत्र सा. घरमा भार्या धनाई पुत्र सा. सहजाकेन स्वपित पुण्यार्थ श्री वासुपज्य विवं कारितं । श्री खरतर गच्छे श्री जिनराज सूरि पट्टे श्री जिन भद्र सूरि युगे प्रधान गुरुभिः प्रतिष्ठितः । (733) सं० १५०० वर्षे -- उपकेश वंशे बहरा गोत्रे सा..-- श्री सुमतिनाथ विवं कारिता श्री खरतर गच्छे श्री जिनराज सूरि पह भी जिन भद्र सूरिभिः प्रतिष्ठितं ।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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