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________________ (१७१) गच्छे अहारक श्री यशोदेव सूरिजो विजयमाने श्री महावीर चैत्ये श्री संघेन चतुष्किका कारिता श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ प्रसादात् शुभं भवतु । उपाध्याय श्री कनक शेखर शिष्य पं० सुमति शेखरेण लिखित श्री छाजद दीव सेखाजी संघेन कारापिता सूत्र धारः अजल मातु मामा घडिता भवन कचरा--1 छत्रीमें। ( 27 ) ॥ ॐ ॥ श्रीमत् श्री जिन भद्र सूरि भृत्याणां बुजाप्तोदया। धन्याचार्यपदावदातवदिताः श्री कीर्तिरत्नावया ॥ नम्रा नम्र सरोज रस्मणि विना प्रोच्छासितां हिद्वया। राजा नन्द करा जयंतु विलसत् भी शंखवालान्वया ॥ - बालोतरा। श्री शीतलनाथजी का मंदिर धातु मूर्तियों पर। ( 748 ) सं० १२३४ ज्येष्ठ सुदि ११ सा० जणदेव आर्या जेउत पुत्र वीरा देवेन भात वाहह वीरदे श्रेयामकारि प्र. देव सूरिभिः।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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