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देश ]
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महावीर प्रभु के चरणो मे श्रद्धा के कुसुम चटाए हम । उनके आदर्शो को अपना जीवन की ज्योति जगाए हम ॥
तप नयममय शुभ साधन से, प्राराध्य-चरण श्राराधन से, वन मुक्त विकारों से महमा, अव ग्रात्म-विजय कर पाए हम ||१||
दृढ निष्ठा नियम निभाने मे, हो प्राण-प्रति प्रण पाने मे, मजबूत मनोवन हो ऐसा,
वायरता कभी न लाए हम ||२||
या-लोलुपता, पद-लोलुपता,
प्राणी
न मताए कभी विकार-व्यथा, निधाम स्व-पर त्याण काम,
जीवन अर्पण कर पाए हम ||३|| गुरुदेव रण में लीन है, निर्भीक धम की बाट बहे,
अविचल दिन सत्य, श्रहिमान,
दुनिया को सुपथ दिलाए हम ||४|| मंत्री म नियम प्रभिमान तजे, पनीरी सार बा
,
'मी' तेरा पथ पाए हम ॥५॥
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