SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 95
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रश्नों के उत्तर minarina मनुष्य के मन का, चित्त का अपहरण करती है, स्पर्श करने से मनुष्य की शक्ति का शोषण करती है और उसके साथ संयोग करने से वीर्य . को हर लेती है। वह सब तरह शोषक है, पोषण करती है तो केवल .. दुर्गुणों का । सद्गुणों को समाप्त करने के लिए वह एक तरह से प्राग है। महात्मा भर्तृहरि ने कहा है __'वेश्यासौ ग़दनज्वाला, रूपेन्धन समेधिता, . .. .... कामिभिर्यत्र हयन्ते; यौवनानि धनानि च ॥?* अर्थात्- वेश्या सुन्दरता रूपी इंधन से प्रज्वलित प्रचण्ड कामाग्नि है और कामी पुरुष इस आग में अपने धन और यौवन की आहुति देते हैं। - निष्कर्ष यह निकला कि धार्मिक, सामाजिक, व्यावहारिक, आर्थिक एवं शारीरिक किसी भी दृष्टि से वेश्यागमन उपयुक्त नहीं है। इससे स्व और पर दोनों के जीवन का पतनः होता है और साथ में .. समाज एवं राष्ट्र का भी नुक्सान होता है। क्योंकि इससे जीवन में - विषय-वासना बढ़ती है और फलस्वरूप मन में अनंतिकता की भावना जगती हैं और वह दुराचार की ओर प्रवृत्त होता है। जिससे मनुष्य की ': शारीरिक शक्ति क्षीण होती है,आर्थिक ताक़त घटती है और प्रामाणि-: - कता का सर्वथा लोप हो जाता है। जिसके कारण जीवन में अनेक दोष .. एवं दुर्गुण आ घेरते हैं। यही कारण है कि वेश्यालयों पर पुलिस की भी .. कड़ी निगाह रहती है। क्योंकि वहां पहुंचने वाले व्यक्ति चोर, डाक.. ....... दर्शनात् हरते चित्तं, स्पर्शनात् हरते वलम् । ME .. .... . मैथुनात् हरते वीर्य, वेश्या प्रत्यक्ष राक्षसी ... * शृंगारशतक, श्लोक ९०
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy