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________________ प्रश्नों के उत्तर ४१२ r anAmAnow.mmmmmmar साथ अन्न की खपत तो बढ़ जाएगी और उत्पादन कम हो जाएगा। कारण स्पष्ट है कि कृषि से भी अधिक जगह मांसाहार के उत्पादन में घेर ली जाती है। कृषि-वैज्ञानिकों का कहना है कि मांसाहार प्राप्त करने के लिए प्रति व्यक्ति को ढाई एकड़ जमीन चाहिए । परन्तु शाकाहार के लिए प्रति व्यक्ति डेढ़ एकड़ जमीन पर्याप्त है। इस मांसमत्स्य उद्योग को बढ़ावा दिया गया तो वह अधिक जगह घेर लगा और परिणामस्वरूप अन्न का उत्पादन घट जाएगा । अतः प्राषि. योग्य भूमि को राक्षसी भोजन प्राप्त करने के लिए लगाना उनित एवं युक्तिगत ही नहीं, राष्ट्रद्रोह है,देश में अकाल की भयानक स्थिति को पैदा करना है । अस्तु, मांसाहार से अन्न . की कमी पूरी होनी असंभव है। उसे पूरा करने के लिए अन्य तरीके हैं : मासाहार से अन्न का उत्पादन नहीं पड़ेगा। उसके लिए श्रम एवं कृषि-योग्य भूमि अपेक्षित है। अतः यह तर्क कोई मूल्य नहीं रखता। मांसाहार हर . हालत में दोपयुक्त है । उससे दोष, दुःख एवं संकटों में अभिवृद्धि हो होती है। 'मत्स्य-न्याय' मानव प्रकृति के विरुद्ध है प्रश्न- प्रकृति का नियम है कि सबल निर्वल को खा जाता है। मच्छर को मक्खी खा जाती है, मक्खी को मेंढ़क, मेंढ़क को - सर्प और सर्प को न्यौला समाप्त कर देता है । तथा बड़ी मछली छोटी मछली को निगल जाती है। “मत्स्य गलागल न्याय" तो प्रसिद्ध ही है । ऐसी स्थिति में यदि मनुष्य किसी पशु-पक्षी को उदरस्थ कर जाता है, तो इसमें प्रकृति के विपरीत कार्य
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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