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________________ के उत्त . ................. प्रश्नों wwwwwwwwwimmin समय राजा प्रदेशी ने दानशाला खोलने की बात कही थी, उसी समय यह भी कहा था कि मैं शील, प्रत्याख्यान और पोपव-उपवास करता हुआ जीवन व्यतीत करूंगा । राजा प्रदेशी के इस कथन को, सुनकर भी केशी श्रमणं कुछ नहीं बोले थे। उनके मौन रहने से क्या शील, प्रत्याख्यान और पोपव आदि धार्मिक कार्य भी पापमय :माने जाएंगे ? केशी मुनि के खामोश रहने पर भी यदि पोषध आदि । अनुष्ठान पापमय नहीं हैं तो दानशाला खुलवाना तथा दान देना हो . पाप क्यों माना जावेगा ? एक साथ ही दो बातों के कहने पर यदि श्री केशी मरण एक का समर्थन करते और एक के लिए मीन . रहते, तवं कहा जा सकता था कि दानशाला खुलवाना पाप है .. किन्तु वे तो दोनों बातों पर ही मौन रहे । अतः दानशाला खुल...' वाना या दान देना पाप नहीं है। ..... दया दान के विरोध में तेरहपन्थी एक युक्ति दिया करते हैं कि यदि सौनय्या, धन, धान्य आदि असंयति लोगों को देने में तथा । .मरते हए असंयति जीवों को बचाने में धर्म होता तो भगवान महा वीर की प्रथम वारणी निष्फल क्यों जाती ? देवता लोग लोगों को . सोनैय्या धन, धान्य, रत्नं आदि देकर तथा समुद्र में मरती हई. - अहं णं सेयंविया-पामोक्ताई सत्तग्गामसहस्साई चत्तारि भागे करिस्सामि । एगे भागे, वलवाहणस्स दलइस्सामि; एगे भागे कोट्ठागारे दलइस्सामि, एगे भागे अन्तेउरस्स दलइस्सामि, एगेण भागेण महंइमहालियकूड़ागार-सालं करिसाममि । तत्थ णं बहुहिं पुरिसेहिं दिण्ण-भत्ति-भत्तवे.. यणाहिं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेत्ता बहूणं समणमाहण भिक्खुयाण पन्धिपहियाणं य परिभोएमाणे वठेहिं सीलवयपच्चक्खाणंः पोस-... ... होववासेहिं जांव विहरिस्सामि। . . . . . . . -राय-पसेणी ...
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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