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________________ त्रयोदश अध्याय उपयोग में न लाए जाने के कारण जो शक्ति है, वह उन देशों की . भूमियों में नहीं। जो शताब्दियों से आबाद हैं। और जिन भूमियों में काश्त हो रही है। यह कई एक शताब्दियों तक उस को उपयोग में न लाए जाने का परिणाम है। इसलिए प्रत्येक मन्वन्तर के बाद जव भूमि ४३,२०,००० वर्षों तक उपयोग में लाए विना पड़ी रहेगी तो अगले. मन्वन्तर के प्रारम्भ में भूमि की शक्ति असीम होगी और मनुष्यों की प्राय आज की अपेक्षा अत्यधिक हो तो, यह असंभव नहीं है। - बरनार्ड शाह और जैन-धर्म - ट्रिब्यून ता० ३१-७-४६. पृष्ठ ४ सम्पादकीय लेख के कालम तीसरे में जार्ज बरनार्डशाह के विषय में लिखा है .. बरनार्डशाह इङ्गलैंड के ही नहीं,प्रत्युत संसार भर के सुप्रसिद्ध - लेखक हैं। इन की आयु ६० साल की है । सुलझे हुए विचारों के ये विद्वान हैं। अपने समय के अनुपम उपन्यासकार हैं । सर्वतोमुखी प्रतिभा के धनी हैं। इन का सब से बड़ा पार्ट (कला) जनहित की भावना से भरपूर साहित्य का निर्माण है। अभी-अभी .. उन्होंने यह इच्छा प्रकट की है कि यदि मुझे अगले जन्म में धर्म । चुनना पड़े तो मैं जैन धर्म को ही पसंद करूंगां। बरनार्डशाह के . अपने शब्द निम्नोक्त हैं - "If I were to select a religion, it would be,, an ...eastern one, Jainism," अर्थात् -यदि मुझे कोई धर्म चुनना पड़े तो वह पूर्वीय "जैनधर्म" होगा । जैन-धर्म की महानता और लोक-प्रियता कितनी अपूर्व है ? जैन-धर्म विश्व के धर्मों में कितना ऊंचा स्थान रखता . .. है, यह वात जार्ज वरनार्डशाह के उक्त शब्दों से अच्छी तरह प्रकट हो जाती है।
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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