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________________ प्रदनों के कार wwwmor सब लोग कम से कम ८,६४,००० वर्ष तक जीवित रहे । पाज. यह बात कोरी गप्प मालूम होती है, किन्तु महर्षि चरक ने अपने सायुर्वेद ग्रंथ में लिखा है कि विशेष प्रकार के रसायन का उपयोग करके पुरातन समय में लोग हजारों वर्षों तक बीमारी, निर्वलता, वार्धक्य और मृत्यु के बिना जीवित रहते थे। यह विशेष प्रकार की रसायन अाज हम जानते नहीं हैं। परन्तु मनुस्मृति में मनु महाराज ने भी कहा है कि सतयुग और त्रेता में लोगों की साधारण प्रायु चार सौ वर्ष होती थी। बाद में वह शन.-शनैः घटती' गई । प्रत्येक युग में चार सौ का चतुर्थ भाग कम हो जाता है। अर्थात् सतयुग में चार सौ, त्रेता में तीन सी, द्वापर में दो सौ और कलियुग में एक सी । परन्तु स्मरण रखिए कि यह साधारण लोगों की प्रायु है । . महर्षियों, योगियों, सन्तों और उन विद्वानों को . नहीं, जो रसायन विद्या को जानते थे । परन्तु यह बात कि पुरातन काल में लोगों की आयु लम्बी होती थी, सिर्फ हमारे देश के ग्रंथों ... में ही नहीं लिखी । वाईविल (Bible) में और मिस्र की पुरानी . पुस्तकों में कई सन्तों और महात्माओं की आयु सात सौ, आठ सौ . . और नौ सौ वर्ष लिखी है । ऐसी दशा में प्रश्न पैदा होता है कि ... अगर उस समय में लोगों की आयु इतनी लम्बी होती थी,तो आज क्यों नहीं होती ? इस का उत्तर जानना हो तो अमेरीका श्रीर अफ्रीका के खेतों में होने वाली फसलों को और वालों में होने वाले फलों को देखिए । इन दोनों देशों के बहुत से भागों की भूमि पता नहीं कितनी शताब्दियों से कृषि (काश्त) के बिना पड़ी थी। जव इन में बीज बोए गए तो प्रत्येक वस्तु की फसल संसार के दूसरे भागों की अपेक्षा कई गुणा उत्तम होने लगी । कारण बिल्कुल स्पष्ट है कि इन दोनों स्थानों पर भूमि के अन्दर शताब्दियों तक ..
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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