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________________ १३५ रूप मे परिणत होते है? कौन परमाणु किसको अपने मे परिणत करता है ? यह तो हम ऊपर बता चुके है कि समान गुण वाले सदृश अवयवो का तो बध होता नही । विसदृग बघ के समय कभी एक सम अवयव दूसरे सम अवयव को अपने रूप में परिणत कर लेता है, तो कभी दूसरा सम अवयव पहले सम अवयव को अपने रूप मे परिवर्तित कर लेता है । जैसा द्रव्य, क्षेत्र आदि का संयोग मिलता है, वैसा परिवर्तन हो जाता है । और जव अधिक गुण एव हीन गुण का बन्ध होता है, तव अधिक गुण युक्त अवयव हीन गुण वाले अवयव को अपने रूप मे वदल लेता है । जिस परंपरा मे समान गुण वाले अवयवो मे वध ही नही होता, वहा अधिक गुण युक्त अवयव हीन गुण वाले प्रवयव को अपने रूप मे बदल लेता है, इतना ही पर्याप्त है। द्वितीय अध्याय MA पुद्गल के मुख्य रूप से स्कन्ध और ग्रेणु दो भेद है । इन भेदो के आधार पर वनने वाले छ भेदो का वर्णन भी मिलता है । 1 १ - स्थूल स्थूल -- स्वर्ण, लोहा, काप्ठ, पत्थर आदि ठोस पदार्थ इस में गिने जाते हैं । T २ - स्थूल - दूध, दही, मक्खन, पानी आदि द्रव - वहने वाले पदार्थ स्थूल के अन्तर्गत आते हैं । - 3 - स्थूल सूक्ष्म - प्रकाश, विद्य ुत, उष्णता श्रादि अभिव्यक्तिया स्थूल सूक्ष्म की श्रेणी मे आती है । ४ - सूक्ष्म स्थूल - वायु, वाष्प आदि सूक्ष्म स्थूल के अन्तर्गत समझे जाते है। ५- सूक्ष्म - मनोवर्गणा आदि अचाक्षुप द्रव्य सूक्ष्म पुद्गल है । ६- सूक्ष्म - सूक्ष्म -- पुद्गल का अविभाज्य प्रश परमाणु सूक्ष्म सूक्ष्म तत्त्वार्थ मूत्र (प सुखलाल सधवी ) L
SR No.010874
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages385
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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