________________ Anासनमामला ( 130 ) पाठयों महामोरनीय पिपप / / भेसद जो अभएवं भाम्म अचम्मया / / मदुरा धर्म कासिपि महामोई पहम्मद 410 भर्य-यो अपने किय परकर्म विपाता जिसो / दुए कर्म नहीं किपा रस के गिर पर सेंक देवा मी कासादिरेतुने उक कर्म पिया इस प्रकार करने से , पा महामोहनीय कर्म को पांभता है। नों महामोहनीय विषय जायमागो परिसम्रो सपा मोसामि भासा / अम्लीयममे पुरिसे महामोई पम्पद ह॥ मर्प-मस्य भीर प्रमत्य को मानता मा भीमो समा र में मिमिठ मापन करता है तपा मोफसर से मी मिाप महीमा पर पुरष महामोहनीय कर्म की उपासनासरता। परापों मामोहनीय विपप भगापगस्स नय पारे वस्से पसिया। पिउहं विस्खोमाचार्य कियास पनि बाहिरं // 10 // उबगसवपि झपिचा परि सोमादि गुस् / मोगमोगेपियारेइ महामोई पहम्मद // 11 // अर्थ-जो नीतिकाल मंत्री रामा कीरापी से मोय करता सराशा मर्यागम के मार्गी पोर परके भाप समो * का अनुमब करता है मम्प सामवादि में मर रामर राशा का पित पुराध कर राम्पसचा का स्पर्ष ममियता ErGau - - - GERIESEX XEEXPER