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________________ मनमा :ERE : ( 11.) विपप की शका रस विपप के मिर्षपार्य प्रमोत्तर करणे।। 2 परिवर्तना-गो पूर्य पाठन किया मा चुकाबोरसकी अनु : पति करना / भनुपेचा-मिस मनुमब मारा पदापों का नाम Mफरना।५ पर्मकथा-पोपदेश देना / मिस कपन समबोध मापियों को पर्म तत्व का पोष खाए उसे ही धर्म कपा काते। इस प्रकार करने से मारमा विकास माष प्राप्त कर लेता है। अब मन पाखाफिममुमेशा किसे कहतेस . माके रचर में कहा जाता किमनुताबाररमकार से पर्दा की गई ।से कि२ १मनिस्पानुप्रेता–स पाठ का भनुभव करते राना बिपापम्मान पुरस म्प की पर्याप ये सब भनित्प, बेपनी मारुति में नहीं सकती। से ममुम्मी की: H पर्याप को मीनिये / बाम युषा और पर मबस्थामौकामामा M फिर रोग शोफ पियोगादिकारण से शरीर की पर्यायों का " परिपतन दोगाना। इमी प्रकार पनादि पायामा पार्ष: सब अमिपाइसी प्रकार की अनुमेशा से सम्प से ममत्व माप का परित्याग परमा-पानी परिपामुमेचा। २भगरपानुमेसा इस प्रकार की भाषमा रत्पत्र करमा / ससार में इस माही का कोई कही / मिस मावीको निजकर्मानुसार यो मुल पा पण ममुमब करना परता. रस को पड़ी मापी मनुमगर सकता माप मावीमा। तया स्पर्म डी गाम का रीमतु मम्प पवार्य सत्पु समय सिबाय धर्म के प्रम्प कोई मी सहायक नहीं बनता। प्रतायो arIFA . . ===EDERS --सम्पEESEX मरम्मत --
SR No.010866
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
Publisher
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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