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________________ उत्तर -- वे भेट निम्न लिखितानुसार पढिये १ ( उच्चारेमुना ) मोम में ( विष्टा में ) ( पासवणेसुवा ) मूत्रमें ३ ( मेलेसुवा ) मुखके मल में ( सघागेसुवा ) के मैल में ५ ( घते या ) यमनम राथ में ८ ( वीर्य ) में सहनाने शरीर में ६ ( पित्तेमुवा ) पित्तमें ७ ( पूण्मु घा) पूत, ( सोणिप्सु वा ) रुधिर में ९ ( मुक्केसु वा ) शुक्र १० ( मुक्क पोग्गल पडिसामु वा ) शुक्र पुगल के पर ११ ( विगय जोय कलेवरे या) मृतक के १२ ( इत्थी पुरिमसजोण्मु या ) स्त्रीपुरुष के योग में १३ ( नगर निद्ध वणेसु वा ) नगर की साई में अर्थात् नगर का साल मल मूनादि के कारण से अति दुगंधमय होजाता है फिर उसमें समुमि मनुष्यों की उत्पत्ति होने लगती है ११ ( सचेमुचैव अमुइठाणे या ) और सब अनुचि के स्थाना में समुहिम मनुष्य उत्पन्न हो जाते है 1 - अतम्य विवेकशील पुरुषों को योग्य है कि वे विना यत्र ते कोई भी क्रियाएँ न करें क्योंकि बिना यत्र से क्रियाए की हुई पाप कर्म वध और व्यवहार पक्ष म रोगो की उत्पत्ति का कारण बन जाती हैं इसलिये प्रत्येक क्रियाए सावधानता से की हुई दोनों एक म शुभ फल की देने वाली होती है ।
SR No.010865
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Swarup Library
Publication Year
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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