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________________ १०७ ८ का शरीर किसे कहते हैं ! Maraरण आदि कर्मों का सजाना और आहार को पीर में ठिकाने २ पहुचाने याला । ९ ओदारिक का अगोपाग १० वैक्रिय का अगोपाग 1) आहारक शरीर का अगोपाग किसे कहते हैं ? जिस कर्म के उदय से अग ( मिर, अग (मिर, पैर, हाथ, आदि ) राग (अगुली, नाक, यान, आदि) बने सो उक्त गरी के अगोपाग होते हैं शेप से शरीरों के अंगोपाग ही होते हैं तीनों शरीश के अगोपाग कहे जाते हैं । १ नाचमनन किसे कहते है ?. पिस कर्म के उदय से मर्कटन्य से वधी हुई के ऊपर तीसरी हड्डी का वेष्टन हो और तीना को घाटी हड्डी की की जिस महनन में हो । १३ ममचतुरस्रस्थान किसे कहते हैं ? जिम कर्म के उदय में पलॉठी ( पालसी ) माग्ने पर पैर की शह चारों ओर से समान हो । १४ शुभ वर्ण से कहते हैं ? रिम नाम कर्म के उदय से शुभ वर्ण की उपलब्धि हो । जैसे सुदर वर्ण ( सुदर रूप ) 1
SR No.010865
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Swarup Library
Publication Year
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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