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( a)) hat, पौरन नदीमकी उपमा पाला रोपन पणाग्नि के समान सपकाला मोग शरम्यान के मेपों की वापा सरण , मित्र, एम, बम, सत्यवर्ग, सम्पम्मी प्रमादि सर्व सम हुम्य है।
पित ! गरा, पुत्र, पाम्पस, 'भ्राणरि प्रमुख सप अपने २ स्वार्य के सापीरे और नीरित राने तो भीत . मस्य के समय का पी माप नहीं बावा, नम पुरुष के पीछे उसी रेपन से भपन सम्म पिपोका पासम पोपण परते, मानम्द से ऐप भायु का पान करता, और उस पतक पुरुप का स्मरण भी मरी रत-इसलिए ।
रामन् ! स्तन दाग, सम्पादि में भ्पर्य सम्पा मरमा पाप रसिय संसार की कैसी सापनीय रण -मस्पन्त शाकारिख पुम अपन मुवा पिवा हो पर म बार रन, ससी मार पिया भी मार हाबी हा दुधा मुखर को रमगाम भूमिका में
माकर स्वार स ससा दावा, पाम्पर, का, मृत्यु संसाररवार।