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( १५३ ) को न वनावे किन्तु भाप श्रावक धर्म में प्रवृत्ति करता हमा उस को मुशिक्षा से अलंकृत करे।
और परस्पर प्रेम सम्बन्धि वार्तालाप में धर्म चर्चा भी करते रहें सदैव काल प्रसन्न मुस्व से परस्पर निरीक्षण करें क्यों कि-जिस घर में सदैव अलह ही रहता है उस घर की लक्ष्मी ली जाती है,
इस लिए ! धम: पूर्वक, प्रेम पालन के लिए जा कुछ स्त्री की न्याय पूर्वक मांग होतो, है यदि उसको पालन (पूर्ण) न किया जाए तब अनुचित वर्ताव होने की शंका की जाती है सो उसकी मांग पूरी करने से उसका वित्त अनुचित्त वर्ताव से दूर करना ही है परन्तु स्त्रियों को भी उचित है कि-अपने घर की व्यवस्था ठीक देख,कर पदार्थों को याञ्चा करनी चाहिए । - वह- मी.ए. सकोमल, और मृद, वाक्यों से करनी, चाहिए। .
- क्योंकि-कठिन वाक्यों के परस्पर प्रयोग करने में प्रेम टूट जाता है मसभ्य वर्ताव बढ़ जाता है ।।