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( १ ) से एक पर्वा न करना पारिये, धर्म में सहायक परस्पर मेम, मित्र के समान पर्वाय एस दास में सान शीबवा' सम्, मेठामी, भादि से नीतिमान, पौर अपने परिवार
धर्म में समाना, निस्प प्रियायों में बगा गाता मी-पीव राम मस के पर्म का पावन परमा पही मापिकामों का हम्म पर्वम्प ,गों के पास ही पर्म शिक्षामों से मसंकत करमा और न मानी भाषिके देने से राफना इस्पादि निवामों परने में नर स्त्री की स्मता पा भाती है व मी भाने मन पर मी निमय पा सकती है।
ति मिस की क्रियाए मनुपित होती पा स्त्री अपने धन पर विप नहीं पा सम्वो बिनु म्पमिवार में माति रमे खग मावो मवएव । सिद्ध हुमा, जि
पापम पप में अपने माख पारे पति के साथ सयप पतीव करना पारिय। मिस में पवि सेवा माती जोर दिया उसने अपने पर्म कर्म को भी विचाबी दे. पी.पिन पवि का पो पारिये, कि अपनी पर्म पत्नी यो प मार्ग में मातम मोर पिया ममिनीपस