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(1) इस संसार से प्रामण पर्म के मा सायपी पास नये मौर महिंसा धर्म माम् पार किया पास
मकार परिसा धर्म का पार पाने लगा और मापीर __सामी की जप मय भार मे सगी वो फिर मामलों
पे मैन धर्म से भोर भी इस करना प्रारम्भ कर लिया पही कारण था कि मैन धर्म पापों का मास्विकर निदा मावि स २२ दाप जमाये मगर परे ऐसा परम पर मी मैन पर्म की गंम पालेकी मोवि और मी पारा शेती मई।
नव पगवान् महावीर स्वामी ने न सिर पों का देश स स्वा देने में सफलता मात रबी वर रमों
स समयमो गौवम पुदन प्रफल पारा मन लहा रिया या भोर गौशाला में मार सियात काही
सष पवाया पाम्पाप पूर्वक पुझिनों से पुछ रानों पदों का सपाम भी किया।
पर समपो बारे रि-भीमगरान् पदमा सापीमी से पिनप रोरा मामक मापके एपोग्य