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( १३७ ) __ शिष्य निम्नप्रकार से प्रश्न पूछने लगे और मापने उनके संशय र किये-जैसे कि । । पभ-हे मगवन् ! प्रथम लोक है किम्वा अलोक है।
उत्तर-हे रोह ! यह दोनों पदार्थ अनादि हैं क्योंकि-यह दोनों किसी के बनाये हुए नहीं हैं यदि इन का कोई निर्माता माना जाये तब यह पूर्व वा पश्चात् सिद्ध होसकते हैं सो जब निर्माता का अभाव है तब इनका मनादित्व स्वतः ही सिद्ध है अनादि होनेसे इनको प्रथम वा अप्रथम नहीं कर सकते हैं।
प्रश्न-प्रथम जीव है पा अजीव है ?
उत्तर-हे भद्र ! जीव और अजीव दोनों अनादि हैं स्यांकि जब इनकी उत्पत्ति मानी जाए तव कार्यरूप जीव का नाश अवश्य ही होगा जब नाश सिद्ध होगया वर नास्तिक वाद का प्रसंग आजाएगा फिर पुण्य पाप पंध मोक्षादि आकाश के पुष्पवत् सिद्ध होंगे तथा दोनों का कारण क्या है । इस प्रकारको शंका होनेपर सकर वा अनवस्था दोष की भी प्राप्ति सिद्ध होगी इसलिये ! यह दोनों वस्तुएँ स्वतः सिद्ध होने से अनादि हैं।