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tea के साथ उस पत्र में आये हुये थे अब उन्होंने भी भगबान महशमीर स्वामी के धर्म उपदेश की महिमा को आम लोगों के मुख से भरा किया तब म एस को सरन न कर सके और आपस में विचार करने लगे कि हमें महाबीर स्वामी के साथ शास्त्रार्थ कर उन के धर्म को और उम्र की कीर्ति को सपक्ष में होने देना चाहिये जिससे कि हमारे ग्रास धर्म को हानि न हो ऐसा सोच कर पर महावीर स्वामी के पास गये और धर्म सम्बन्धी उन्होंने प्रभार कियेजा भगवान् मे अपने केबल शान के पत्र से पन के मनों को जमते हुये उन के प्रश्नों के उदय को वह मत्य प उत्तर को पाकर वहीं सपम सर (पापान संप में ही दक्षित हमपे भी भगवान न एक ही दिन में पोतासीस सौ का दीक्षित कि इन में सब से बड़े इन्द्र भूति जी महाराभ थे जिन का गौतम गोत्र या इस किये पर गौतम स्वामी के नाम से मुनसिद्ध है यही " श्री भगवान् के मुख्य शिष्य वे इन पूर्व र जैन धर्म का स्थान २ पर प्रचार किया वाबों लोगों का साथ म मासु किया भोर स्थान २ पर शास्त्रार्थ कर मन पम का मंटा फहराया