________________
११३१) कि मैंने अपने ज्ञान में अनुभव किया है जिस का कि फल निर्वाण (याने सच्चा मुख) हासिल करना है उस को इस संसार के दुःखों से पोड़ित हुये हुये माणियों को भी अनुभव करवा देना चाहिये इस उद्देश को सामने रखते हुये आप अनु क्रम से विहार करते हुये सव से पहले आपापा पुरी ( पावापुरी) में पधारे।
(भगवान् का उपदेश) जब भगवान महावीर स्वामी जी केवल ज्ञान को माप्त कर पावा पुरी में पधारे तो पहला उपदेश भगवान् का यहां पर हुमा चौमठ इन्द्रों ने समव सरण को रचा आपने यहां सिंहासन पर विराजमान हो कर सार्वजनिक हितैषी धर्म उपदेश किया जिस को सुन कर प्रत्येक जन "ह प्रगट करता था। उसी समय नसा नगरी में सामन ब्राह्मण ने एक यज्ञ ग्चा हुअा था जिस में उस समय के बड़े २ विद्व न् ब्राह्मण इन्द्र भूति, अग्नि भूमि, वाय भूति, व्यक्त सुधर्मा मडो पुत्र, मौर्य पुत्र, अकंपित अचल भ्रावा मैनायं प्रभास या ११ विद्वान् अपनी २ शिष्य