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फल भोगना पदिप मैने देष दिपावो मागे रे चिपे और मयेर्मों का पंप हा भायमा !
प्रवर ! मप समा शान्ति से निपटने योगना चाहिये इस प्रकार तफ पस्ते इये भौर बाना मपर के गों को साम पर इसे मी पापमपमे पाल प्पान में ही बागे रे।
इस प्रकार पान् पप बहुपे नाना प्रकार के कठों का सान फर माप विहार करते हुये नृमि नमः ममर बाहर अज् पावित्रा नदो के सचर इख पर स्यामानामक या पवि र्पण समोपस्म अव्यक्त पेत्य (पान) की शान में शाम एसके समीप बिराममाम हा गये वा पाप का पैसास एक दरावी दिन विबप नाम: पर्व में स्वाचरा मात्र के पाम्
सपा में वा उपपास क साप राम पाम में अपश ये दुमों का फेस शान मोर पख दर्शन की माप्ति ॥ गई।
समाप का का माम मात्र दो पुत्र तप मापन पिपार किया कि अब एमे संसार में पा पर्म निस