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1 की अनुमति से दीचिव हो गये दीक्षा लेते समय ही भाप ने यह प्रविशा कर की कि बारह वर्ष पर्यन्त में मोर से पार कष्टों को सहन करूंगा और अपने शरीर की रक्षा श्री म करूंगा इवने फाल में बाप को अनेक का सामना करना पड़ा ।
मिन का कि हम इस कदर भयानक है कि उसे लिखना तो दूर रहा उस के सुमने से भी हृदय है परन्तु यह भावकी ही महान् मात्मा और महान् शक्ति बी कि आप मे उसे सहन किया इममिव पाठकों के किये पर्श पर हम के इस जीवन की चन्द घटमायें देवे है जिससे कि तुम को ज्ञात होगा कि श्री भगवान् महा बीर दब स्वामी किस कदर व आस्मा और हट्ट सम शीखता होने के अतिरिक महान तपस्त्रो मे यही कारण था कि उन्हों ने महान से महान तपस्या करके अपने कर्मों का नाश करते हुये केवल ज्ञान को प्राप्त किया । महात्मा महावीर जी त्यागी के जीवन की चन्द घटनायें ।
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१- पाठको जिस समय भगवान महावीर भी न गृहस्थ आश्रम को स्याम कर सन्यास क्षम का
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