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ने उत्साह पूर्व
( १२५ ) र स्वामी का शुभजन्म हुआ, जन्म दिन पड़े साह के साथ मनाया गया गजा के यहाँ आप का म होते ही हर प्रकार से सूख बढ़ने लगा और राजा उत्साह पूर्वक बहुत सा दान भी किया और प्रजा को ." की भांति उस से भी पढ कर हर प्रकार से मुख देने लगा इस प्रकार दिन व्यतीत होने लगे और थाप
धन्य संस्कार पी समय २ पर बड़े समारोह से होते इये पालना होती रही मगर आप का चित्त इस बाल्यावस्था से ही ले कर संसार से उदास रहना था सदैव यही भाव उत्पन्न रहते थे कि मैं अपनी प्रास्मा का सुधार करके परो"कार करूं परेपिकार ही सत्पुरुषों का धर्म है।
- इस प्रकार के भाव होने पर भी माता पिता के 'यत्पन्न आग्रह से "यशोदा राज कुमारी से विवाह किया - गया फिर भाप के गृह में कुमारी का जन्म हुधा जिसका नाम, प्रिय सुदर्शना कुमारी रक्खा गया परन्तु वैराग्य भाव में जव अत्यन्त भाव उत्कृष्टया में आ गये तब माता पिता के स्वर्ग वास होजाने के पश्चात ३० वर्षे की अवस्था में भाप बड़े भाई "नन्दिप