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उपप में खड़ा हमारे और शरीर मार्म पर सिव वो रस समय गुणों का पक्ष पाव भरमा पारिए।
भपित र परमा मध्यामही है-मो पुटप एसों में पर पादिया सबको ही मिन, चिन्तु पह किसी का मी शनी प्रचएए । सो का पत्र पाव करना सम्प पुरुषों का सम्म पर्वम्परेनो गणों के पत्र पाती नहीं है किन्तु राग पप रो दिसा गरे पम के योग्य महीं गिने बासे-मता एणों का ही पस पात करना चाहिये।
१५-सस्कया सुपर एक-सरमा करने गया और सपर से पुल मर्याद-पपा पाने पाखा, घय मावि पाता मा अपने निर्णय लिए हुए सिदाम्त में रहता रसन पाला हामा पारिए-ससियाम्स में पूर्ण हवा जोमाने हो फिर प्रसतरारापि म फरमी पाहिपे, पदि ऐसे का नाप कि-अप ग्स का सिद्धान्त पर तो फिरपा मसलपा से हर सातारको रसा सापान इस पर रिया भाषा -सस्प सामा नमा नपरास्पादि प्रिपामा कमी ममत्यापारिन