________________
(१०८) चिन्तु मो मृहमादि गुणों से युक रेन से पार्मिक भादि किनाएं होमी भसम्मर प्रतीत होती है क्योंकिशास्त्रों में लिखा है कि-तीम भास्माएं शिवारेमपोग्प
मैस शि-दुष्ट, मूर्ख, और पी, या वीनों पात्मा शिक्षा के प्रपोग्प से हैं यपाप मुख किसी माम पीरिनु मो अपने हित की माता नहीं सुनवा
stो उस को मामा नहीं है उसी का माम
दिमो मुले का ज्वर भावेश है। गया सिस के फिर वोप पर माम लग गपा हा सस्टर सार में पूषा दिवस पर निस्प मति माता
सन पर में निपदन ।पा हिमता सानि नहीं पाता किन्तु एकदिन मावा पनि गोमाता तो फिर रास्टर सार
सा का मकान है
निगम वारी परवा समेत हिनी साप पामर तो समेत सामगे, कि भाई, इसापा पस नखे न का किवा इस पारी मी
सकता फिर राग सार ने माननादासनगरम