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( 2) प्रश्न
उत्तरे हमारे विचार में बिना | प्रियवर- जर्व तुम, जीव पनाये वो कोई पस्तु नहीं ईश्वर और प्रकृति को बन सकती।
. अनादि मानते , हो तो बत
लाईये यह बिना वनाये
कैसे बन गये। जैन धर्म का मन्तव्य क्या 'जैन धर्म का मन्तव्य यही
है कि इस अनादि संसार चक्र में अनादि काल से जीव अपने किये हुये कर्मों द्वारा जन्म मरण करते चले
आये हैं अपितु वेद कर्म प्रवाह से अनादि हैं पर्याय से धर्म श्रादि हैं उन फर्मों को सम्पग- ज्ञान, सम्यग दर्शन, सम्यग चारित्र, द्वारा क्षय करके मोक्ष प्राप्ति करना
..सम्यगू ज्ञान किसे कहते उच्चा ज्ञान- यथार्थ
ज्ञान।