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________________ RUM पदो. फूली वसंत कंत चित्त शांति, जांति कुवास फूल मति दोरे । मनमोहन गुण केतकी फूली, समता रंग चर्यो घर तोरे ॥ तुं॥१॥ इबा रोधन तप्त जर घट, जरत नयो अघघांस नलोरे । समता सीतळता मनमानी, गुण स्थानक शुरू श्रेणि चलोरे ॥ तुं ॥२॥ पावस नूमि चेतनकी शु, उरत न चित अंबुजरेरे । वरसत जैन वैन शुभ नरीया, नरीय चैन वनवाग धरेरे ॥ तुं ॥ कुमता ताप मीटी घट अंदर, मन बंदर सठ शांत नयेरे । अनुजव शांतिकी बुंद परी घट, मुक्ताफळ शुरु रुप थयेरे -॥ तुं ॥४॥ आतमचंद आनंद नये तुम, जिनवर नाद अनंग सुयोरे ॥ सगरे सांग त्याग शिव नायक, दायक नाव सुनाव थुण्योरे ॥ तुं ॥५॥ इति ॥
SR No.010857
Book TitleChaturvinshati Jinstavan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages216
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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