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________________ स्तवनावली. varvwas सिधायोरे ॥ मे ॥ ५॥ कोण आगल हुँ प्रश्न करशु, उत्तर कोन सुनायो । कुमति उब्दुक वोलेगे अधुना, अंधकार जग बायोरे ॥ मे ॥ ६॥ तूं नहीं किसका को नहीं तेरा, तूं निज आतमरायो ॥ श्म चिंततही केवल पायो, जय जय मंगल गायोरे ॥ मे ॥ ७॥ इति ॥ अथ शंखेश्वर स्तवन. राग, खमाच. श्री शंखेश्वर दरस देख, कुमति मोरी मीट गरे आज ॥ श्रांचली ॥ झान वचन पूजा रस गयो, नाश कष्ट नविजन मन नायो ॥ युं जिन मुरति रंग देख, मुरगति मेरी खुट गरे । श्री शंखेश्वर ॥१॥ निरविकार . वामासंग त्यागी, जप माला नहीं नाथ निरागी । शस्त्र नहीं कर देष मिटे, व्र। मता सब बुट गरे ॥ श्री शंखेश्वर
SR No.010857
Book TitleChaturvinshati Jinstavan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages216
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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