SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 203
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीमछीविजयोपाध्याय कृत, त्यागी जगमें नाम धराय ॥ वि ॥२॥ सब कुपंथ त्याग करदीया । अपना जनम सफल करलीया । पूजो ऐसें गुरुके पाय ॥ वि ॥३॥ सत उपदेशही सवको दीया । सत मारगसो थापन कीया। ऐसे जग उपगारी थाय ॥ वि ॥४॥ चलो सरवी दरिशनको जावें । देख वदन आनंद नर पावें ऐसे नहीं कोई राणे राय ॥ वि ॥५॥ सखियां मिल आनंद नरपूरें । गुरुचरणोमें गुहली पुरे।आनंदवीर विजयको थाय ॥ वि ॥६॥ इति समाता ॥ अथ श्री गौतम स्वामीकी गुदली। प्रथमजिनेश्वर मरुदेवी नंदा॥ एदेशी॥ गौतम स्वामी शीवसुख कामी । गुण गाजंसीर नामीरे ॥ गुरु.गौतमस्वामी ॥ ए श्रांकणी॥जीव सत्ताका संशय पमिया । वीरचरण जई अमियारे ॥ गु ॥१॥
SR No.010857
Book TitleChaturvinshati Jinstavan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages216
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy