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________________ स्तवनावली. निषेककलस करधारी । करेप्रनवकी त्यारी | हरीशंकादिलमे धारीरे ॥ वी ॥ रानी ॥ ३ ॥ प्रभु जनमत ही हैं नाणी | मनशंकाशककी जाणी । तबमेरुकंपायो ताणीरे ॥ वी ॥ रा ॥ ४ ॥ चमके सबसुरवरराया । शंकामन दुर कराया । करी महोबव आनंद पायारे ॥ वी ॥ रा ॥ ५ ॥ धन्य वीर जिनेश्वर स्वामी । तुं बालपणे नये नामी । तुमगुणमेको नहीं खामीरे ॥ वीर ॥ रा ॥ ६ ॥ कलकत्ता मंदन राया | बैठे प्रभु ध्यान लगाया । में दर्शन गिचेपायारे ॥ वीर ॥ ७ ॥ उंगपिसेंशह जाया । कार्त्तिक पुनमदिन याया । एमवीरविजय गुणगायारे ॥ वीर ॥ रा ॥८॥ १६ ए ॥ अथ आगरा मंडन चिंतामणस्तवनं राग कनडाशियाना ॥ चिंतामणजी पास मोहे प्यारा ॥ मन १५
SR No.010857
Book TitleChaturvinshati Jinstavan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages216
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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