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१६७ श्रीमधीरविजयोपाध्यायकृत, महोडवकरके। नामपावापुरी कह गियारे॥ मे ॥ ७॥ तीरथ नेटी नवदुःख मेटी। श्रातम आनंद लेलियारे ॥ मे ॥ ए ॥ उंगणिसेबासह माघशुदकी । पंचमीदिन पावन थियारे ॥ मे ॥१॥ वीरविजय कहे वीर जिणंदका दर्शण बिन हम रहगयारे ॥ मे ॥ ११॥
इति संपूर्ण ॥
॥ अथ कलकत्ता मंडन
महावीर स्तवन ॥ रानी त्रिशलादे नंदारे वीर जिणंदा। सिझारथ कुलननचंदा रे सुखकोरेकंदा ॥
आंकणी ॥जब जन्मे जिनवरराया । बपन.. कुमरि हुलराया । हरीहरषधरी तब थायारे॥ वीर;॥ रानी ॥१॥ हरी पंचरूप बनजावे । प्रनुमेरुशीखरपेल्यावे । करेजनममहोबवनावरे:॥वीर ॥रानी ॥२॥